पर्यावरण गतिविधि


पर्यावरण

पारिस्थितिकी को हानि पहुँचाकर विकास मार्ग को अपनाने की ज़रूरत नहीं है। कुद्रेमुख इस दिशा में पथ-प्रदर्शक रहा है । पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी प्रतिबद्धता को अपनाया है । कंपनी ने भद्रा नदी के प्रदूषण को रोकने हेतु उसकी उप नदी लख्या पर, 100 मी. मिट्टी के बाँध का निर्माण किया है । अपने प्रदूषण-नियंत्रण कार्यक्रम के अंश के रूप में, कंपनी ने संयंत्र से आनेवाले कचरे को रोकने हेतु लख्या-बाँध की ऊँचाई को बढ़ाने का काम अपने हाथ में लिया है । मानसून के दौरान संदलित्रों की घाटियों में खान से निकली बहाव को रोकने के लिए कंपनी ने पत्थरों से भरे दो लघु बाँधों का निर्माण किया है । केवल स्वच्छ सतही पानी भद्रा में जा मिलता है । इन बाँधों में संग्रहित गाद को शरद ऋतुओं तथा ग्रीष्मऋतुओं के दौरान निकाल दिया जाता है ताकि उन्हें अगले मानसूनों के दौरान संग्रहण के लिये तैयार रख सके । यह गाद लौह-अयस्क से संपन्न होता है तथा उससे लगातार वार्षिक डेढ मिलीयन टन गुणवत्तापूर्ण-अयस्क प्राप्त होता है । प्रदूषण नियंत्रण के अलावा ये लघु बाँध अयस्क के पुनः प्राप्ति के संपन्न स्रोत हैं । भू-स्खलन को रोकने हेतु मिट्टी से भरे सूक्ष्म क्षेत्रों में भारी मात्रा में घास लगाई गई है और घास का मैदान बना दिया गया है । वनरोपण कार्यक्रम के अधीन कंपनी ने खान – बहाव तथा मिट्टी बहाव को रोकने हेतु अब तक लगभग 7.5 मिलीयन वृक्षारोपण किया है ।

प्रमुखतः विभिन्न पाररिस्थितिकीय एवं पर्यावरणीय नियंत्रक उपायों के प्रति धन्यवाद, क्योंकि इस परियोजना ने वर्षों से होने वाली अत्यधिक वर्षा से होने वाली बाढों के वार्षिक विध्वंस को बचाया है । कंपनी के सहाय हस्त भद्रा से कलसा तक विस्तारित हुआ है, जहाँ उससे इन शहरों के निवासियों को स्वच्छ व पेयजल की आपूर्ति को सुनिश्चित करने का उत्तरदायित्व लिया है ।

मंगलूरु इकाई में पर्यावरणीय गतिविधियाँ

केआईओसीएल को पर्यावरण स्वास्थ्य एवं सुरक्षा प्रबंधन के लिए ईएमएस140001 एवं ओएचएएस 180001 मानक प्रमाण-पत्र प्रदान किये गये हैं ।

संस्थापन के समय से ही, पर्यावरण-स्नेही पर्यावरण स्थापित करने हेतु, उत्तम पर्यावरणीय मानकों को सुनिश्चित करने के लिए कठोर उपाय किये गये हैं । कंपनी के मंगलूर प्रचालन को दो भागों में विभजित किया गया है। पेलेट संयंत्र इकाई एवं धमन भट्टी इकाई । 

पेलेट संयंत्र इकाई ईएमएस के अनुरूप है । पर्यावरण कक्ष – प्रदूषण नियंत्रण प्रणाली, पर्यावरणीय पैरामीटरों का अनुवीक्षण, हरित-पट्टी का विकास तथा कानूनी आवश्यकताओं के अनुपालन का ध्यान रखता है। यह संयंत्र शीतल कुंड में उत्पादित संपूर्ण त्याज्य-जल, को पुनर उपयोगी बनाता है तथा यह शून्य-विसर्जन इकाई रहा है । एसटीपी को 30 केएलडी से 80 केएलडी तक उन्नयन के लिए तथा सीपीपी से एफजीडी बहिर्स्रावि की अभिक्रिया हेतु ईटीपी की स्थापना करने के लिए कंपनी ने कार्य-योजना तैयार की है । संयंत्र के परिसर के बाहर भी वनरोपण किया जा रहा है । यह संयंत्र, निरंतरता से आसपास के पर्यावरण पर अपने प्रचालनों से निषेधात्मक असर को कम करने की प्रणालियों का लगातार अनुवीक्षण करता है ।  

धमन भट्टी इकाई में, जो प्रक्रिया है उसमें अंतर्निहित धूलि-प्रग्राहक तथा अनिल मार्जक संयंत्र है जो धमन भट्टी में उत्पादित अनिलों के संसाधन के लिये है । आगे धमन भट्टी का उप-उत्पाद सीओ अनिल को वातावरण में जाने नहीं दिया जाता परंतु हमारे 2x3.5 मेगावेट केप्टीव पॉवर संयंत्र में विद्युत के उत्पादन हेतु प्रभावी रूप से उपयोग किया जाता है । इस अनिल के कुछ अंश को स्टोवो में पूर्व ऊष्मन प्रक्रिया वायु के रूप में उपयोग किया जाता है ।

सभी प्रदूषण नियंत्रण पैरामीटरों की निकटता से अनुवीक्षण नियमित रूप से किया जाता है ताकि अनुमित सीमा के अधीन उन्हें सुचारू रुप में रखने के विषय को सुनिश्चित किया जा सके । संभवनीय जोखिमों को पहचानने हेतु नवीनतम प्रदूषण नियंत्रण प्रबंधन तकनीकों का अन्वयन किया गया है तथा जहाँ कहीं भी आवश्यक हों वहाँ पर सुधारात्मक कार्यों को अपनाया गया है । तेल बैटरियों, ई-त्याज्य आदि खतरनाक त्याज्यों से निपटने हेतु विशेष ध्यान दिया गया है। 

संयंत्र-क्षेत्र के अंदर और बाहर वृक्षारोपण के साथ, वन विभाग, कर्नाटक-सरकार के नेत्रत्व में केआईओसीएल द्वारा, हर वर्ष जून 5वीं तारीख को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है ।